
Zero FIR जीरो एफआईआर क्या होती है ?
एफ़आईआर दर्ज करते वक़्त आगे के कार्यवाही को आसान बनाने के लिए ज़रूरी है कि जिस स्थान पर अपराध हुआ है उसी क्षेत्र के थाने में अपराध की शिकायत दर्ज हो लेकिन कई बार ऐसे मौके आते हैं जब पीड़ित को किसी कारण किसी बाहरी पुलिस थाने में केस दर्ज करने की जरुरत पड़ जाती हैं। मगर अक्सर ऐसा देखा जाता हैं कि पुलिस वाले अपने सीमा से बाहर हुई किसी घटना के बारे में उतने गंभीर नहीं दिखाए देते आपको जानना ज़रूरी है कि FIR आपका अधिकार हैं इसलिए आपके अधिकारों को बचाए रखने के लिए Zero FIR ज़ीरो एफ़आइआर का प्रावधान किया गया है ।
इसके तहत पीड़ित व्यक्ति अपराध के सन्दर्भ में अविलम्ब कार्यवाही हेतु किसी भी पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है अगर शिकायतकर्ता के साथ किया गया अपराध उस थाने की जूरिस्डिक्शन में नहीं हुआ हो जहां शिकायत लेकर शिकायतकर्ता पहुंचता है तो भी पुलिस को शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर केस दर्ज करना होगा । ऐसी स्थिति में बाद में शिकायत को संबंधित थाने में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस तरह की एफ़आईआर को ज़ीरो एफ़आइआर कहा जाता है ।
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जब कोई भी शख्स किसी भी थाने में शिकायत लेकर पहुंचता है, तो पुलिस की पहली ड्यूटी होती है कि वह केस दर्ज करे। मामला अगर संज्ञेय अपराध से जुड़ा हो, तो चाहे अपराध देश के किसी इलाके में क्यों न हुआ हो, किसी भी दूसरे इलाके में केस दर्ज हो सकता है। पुलिस को अपराध के बारे में सूचना देने में देरी न हो, इसलिए जरूरी है कि उस शिकायत को दर्ज किया जाए।
जब भी कोई शिकायत हो और मामला संज्ञेय हो, तो पुलिस न सिर्फ FIR एफआईआर करेगी बल्कि वह शुरुआती जांच भी करेगी ताकि शुरुआती साक्ष्य नष्ट न हों। पुलिस इस तरह की जांच के बाद जांच रिपोर्ट और एफआईआर को संबंधित थाने को रेफर करती है। कई बार रेप आदि की जब शिकायत की जाती है, तो तुरंत पीड़िता के मेडिकल आदि कराने जरूरी होते हैं। यही वजह है कि जीरो एफआईआर के बाद पुलिस छानबीन भी करती है और एमएलसी की रिपोर्ट आदि तैयार करती है और अगर ऐसा नहीं किया गया तो सबूत नष्ट होने का खतरा रहता है। हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस आर. एस. सोढ़ी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में कहा था कि चाहे अपराध किसी भी इलाके में हुआ हो, पुलिस जूरिस्डिक्शन के आधार पर एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकती।
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Author:
एडवोकेट आफताब फाजिल
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