
आत्मरक्षा का अधिकार Right to defense
आत्मरक्षा का अधिकार सिर्फ कानूनी ही नहीं बल्कि मौलिक अधिकार भी है आत्मरक्षा का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के अधिकार के तहत आता है इसके अंतर्गत अपनी सुरक्षा और अपनी संपत्ति की रक्षा करना आपका मौलिक अधिकार है ।
किन परिस्थितियों में मिलता है आत्मरक्षा का अधिकार
BNS 34 व IPC 96 के तहत सेल्फ डिफेंस की बात कही गई है ।
BNS 35 व IPC 97 के तहत बताया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को शरीर और संपत्ति की रक्षा का अधिकार है और इसके लिए वह सेल्फ डिफेंस में अटैक कर सकता है।
BNS 37 व IPC 99 कहता है कि सेल्फ डिफेंस रीजनेबल होना चाहिए यानी अपराधी को उतनी ही क्षति पहुंचाई जा सकती है जितनी जरूरत है।
BNS 38 व IPC 100 के मुताबिक सेल्फ डिफेंस में अगर किसी अपराधी की मौत भी हो जाए तो भी बचाव हो सकता है अगर किसी महिला को लगता है कि कोई व्यक्ति उस पर हमला करने वाला है या रेप करने की कोशिश करता है, अपराधी अगर अपहरण की कोशिश में हो, यदि आप पर कोई एसिड अटैक करता है तो वह अपनी सुरक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई कर सकती है और यह उसका आत्मरक्षा का अधिकार होगा ।
BNS 41 व IPC 103 के मुताबिक रात में घर में सेंध लगने, लूटपाट होने, आगजनी और चोरी होने जैसी परिस्थितियों में अगर आपको अपनी जान का खतरा है, तो आपको आत्मरक्षा का अधिकार है ।
BNS 44 व IPC 106 के अनुसार यदि आप पर भीड़ द्वारा हमला किया जाता है और आपको जान से मारने का प्रयास किया जाता है व भीड़ में बच्चे भी मिले हुए हैं और ऐसा लगता है कि बिना गोली चलाए आप जीवित नहीं बच पाएंगे तो आप अपनी सुरक्षा के लिए गोली चला सकते हैं चाहे आपकी गोली से किसी बच्चे कि मृत्यु क्यो न हो जाए आप निर्दोष हैं ।
Author:
एडवोकेट आफताब फाजिल
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